- हमीरपुर से अमित पठानिया
हमीरपुर के तेलकड़ गांव के पम्मी ठाकुर परिवार को गाने सुनाते-सुनाते गायक बन गए। इनके पिता भाग सिंह घर आते थे तो पम्मी ठाकुर उन्हें गाना सुनाया करते थे। भाग सिंह पम्मी से कहते थे वे किसी भी काम को करते समय शर्म न करें। इसके बाद पम्मी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
पम्मी ठाकुर के पिता भाग सिंह भारतीय सेना से ऑरनरेरी कैप्टन सेवानिवृत्त हैं। उपमंडल नादौन के तेलकड़ गांव के पम्मी ठाकुर के गाने हर किसी की जुबां पर हैं। गुरु जी कलम दवात हथ तेरे... गीत ने पम्मी को खासी पहचान दिलाई। सोशल मीडिया पर इस लोकगीत को अभी तक 22 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं। इस गाने के बाद पम्मी काफी हिट हुए हैं। पम्मी अब तक करीब 50 एलबम निकाल चुके हैं। इसमें राम केड़े बेले जपना..., राम नाम दी क्यारी बीज ले..., बाबा जी चंगे मेरे लेख लिखयो जैसे गानों को काफी तारीफ मिली। यू-ट्यूब पर लोग पम्मी के गानों को काफी पसंद कर रहे हैं। उन्होंने 2006 में संगीत की दुनिया में कदम रखा। पम्मी ने चंडीगढ़ से संगीत में एमए की है। उन्होंने पांच साल हमीरपुर में संगीत की बारीकियों को सीखा।
इनकी पहली एलबम रामा ओ रामा थी। पम्मी की शादी हो चुकी है। उनके दो बेटे हैं। हाल में ही उनका एक भक्ति सॉन्ग जय मां काली रिलीज हुआ उस गाने को देश प्रदेश से बहुत ज्यादा प्यार मिल रहा है और लोग कमेंट द्वारा शुभकामनाएं भी दे रहे हैं । पम्मी ठाकुर ने कहा उनकी सफलता में परिजनों का योगदान है। साथ में उनकी टीम का भी बहुत बड़ा योगदान है वे पंजाब, दिल्ली और मुंबई में स्टेज शो कर चुके हैं। पम्मी ने कहा कि उन्हें बचपन से गाने का शौक है।
0 Comments