पालमपुर, रिपोर्ट
पूर्व विधायक प्रवीन कुमार ने कहा कि इस मानव जीवन में किसी की जान को बचाने बाले डाक्टर का दूसरा नाम ही प्राण दाता रुपी भगवान है । मसलन के तौर पर बीमारी से पीड़ित मृतशैय्या पर लेटे मरीज को डॉक्टर के प्रति इतनी अटूट श्रद्धा होती है कि उपचार में डाक्टर साहिब कुछ भी दवाई लिख दे तो वह विशवास के साथ खा लेगा भले ही दवाई चाहे प्राणघाती ही क्यों न हो । यह प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इन्साफ संस्था के अध्यक्ष एवं पालमपुर के पूर्व विधायक प्रवीन कुमार ने कहा कि वर्तमान में कोरोना महा संकट के दौरान बहुत से डॉक्टर अपनी अति सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं। जबकि कुछ एक की कार्यप्रणाली इस बिरादरी की कडी मेहनत को कलंकित करके तार तार कर रही है । ऐसी कार्यप्रणाली पर बेहद खेद व्यक्त करते हुए पूर्व विधायक ने कहा कि गत दिनों पूर्व में भारतीय जनता पार्टी पालमपुर के मंडल अध्यक्ष रहे संतोष चौधरी की कोरोना वैक्सीन लगने से तीन-चार दिन बहुत बुरी हालत रही ।
परिणामस्वरूप तेज बुखार व शरीर में अत्याधिक दर्दों के चलते खुद को दिखाने गोपालपुर हॉस्पिटल गये परंतु वहाँ उनकी बेहाली को देखकर उनकी फरियाद को सुनने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ , दूर से बस इतना ही कहा कि पहले अपना कोरोना टैस्ट करवाओ । दूसरे दिन टैस्ट करवाया । इस तरह एक सप्ताह तक रिपोर्ट न आने के कारण संतोष चौधरी की हालत बेहद नाजुक हो गई । अन्ततोगत्वा इन्हें टांडा हॉस्पिटल ले जाया गया वहां विहलचियर पर ही इन्हें ऑक्सीजन लगा दी गई । देर रात तक ऐसी ही स्थिति को देखकर पूर्व विधायक ने इसी हॉस्पिटल के एक जिम्मेवार डॉक्टर से बात की तो उन्होंने कहा यहाँ कोई बैड नहीं है। इन्हें घर ले जाओ । इस तरह देर रात इन्हें घर ले आया गया परन्तु सुबह संतोष चौधरी की तबीयत और नाजुक हो गई आक्सीजन लेवल बहुत घट गया ऐसी स्थिति में इन्हें एमरजैन्सी सिविल हॉस्पिटल पालमपुर लाया गया । वहां भी बहिल चेयर पर ही बैठा कर इन्हें आक्सीजन लगा दी गई और थोड़ी देर बाद कहा गया कि इन्हें घर ले जाओ । अस्पताल स्टाफ द्वारा बार बार घर ले जाने के दबाव से तंग आकर सन्तोष चौधरी के छोटे भाई बलवन्त चौधरी ने उनसे सम्पर्क किया । इस तरह उपचार कर रहे डॉक्टर से पूर्व विधायक ने सन्तोष चौधरी के बारे में पूछा तो डाक्टर साहिब ने माना कि सन्तोष की हालत नाजुक है और इन्हें हाईफलो आक्सीजन की अवश्यकता है जो कि यहाँ एवलेवल नहीं है। पूर्व विधायक ने डाक्टर से प्रश्न किया कि ऐसे में अगर इन्हें हाईफलो आक्सीजन की जरुरत है तो फिर इन्हें घर ले जाने के लिए क्यों फोर्स किया जा रहा है । पूर्व विधायक ने बताया कि ऐसी स्थिति में उन्होंने हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष विपिन सिंह परमार का सहारा लिया । इस तरह परमार के हस्तक्षेप एवं त्वरित कार्यवाही के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने पूर्व विधायक को फोन करके बताया कि आपका पेशेंट तो लिखकर चला गया है कि मैं अपनी मर्जी से घर जा रहा हूं । इस तरह पूर्व विधायक ने एकदम छोटे भाई से इस हरकत बारे बात की तो उन्होंने बताया कि ऐसा बिल्कुल नहीं है हम एमरजेंसी कक्ष के दरवाजे के पास ऑक्सीजन लगाये विहलचेयर के साथ खड़े है ऎसे में कुछ लिख कर देने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता और वैसे भी संतोष भाई साहब का शरीर बिल्कुल बेजान हो चुका है पैन को पकडने की हिम्मत तक नहीं है, जबकि ड्यूटी पर तैनात स्टाफ बडी देर से हमें एक किस्म का अछूत समझ जबरन घर भेजने के ड्रामे रच रहा है। इस तरह अपने बड़े भाई की निरन्तर बिगड़ती स्थिति को देखकर छोटे भाई ने पूर्व विधायक से अपने बड़े भाई को बचाने का आग्रह किया । पूर्व विधायक ने बताया कि इस तरह छोटे भाई को बिलखते रोते देख उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस मौके पर निभाई गई अहम भूमिका के प्रति बेहद आभार जताते हुए कहा कि इन्हीं के फलस्वरूप और प्रभु की आपार कृपा से टाण्डा व पपरोला में गहन उपचार के उपरांत संतोष चौधरी सकुशल घर लौट आये हैं जो कि अत्यन्त हर्ष का विषय है।
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