- शिमला, रिपोर्ट
राज्य के आबकारी एवं कराधान विभाग ने अप्रैल 2021 में 642 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र किया है जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 76 करोड़ रुपये था। अप्रैल 2019 में 590 करोड़ रुपये की तुलना में विभाग ने अप्रैल 2021 में 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने यहां यह जानकारी देते हुए कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में विभाग का शानदार प्रदर्शन जारी रहा, जिसके कारण पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान कोविड-19 से भारी व्यवधानों के बावजूद वित्तीय वर्ष 2020-21 में राजस्व संग्रह 4 प्रतिशत से अधिक हो गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विभाग ने अप्रैल 2021 में 429 करोड़ रुपये का उच्चतम जीएसटी संग्रह किया जो अप्रैल 2020 और अप्रैल 2019 में क्रमशः 43 करोड़ रुपये और 333 करोड़ रुपये था। एक्साइज फंक्शन में अप्रैल 2021 में 142 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह दर्ज किया गया जो अप्रैल 2020 और अप्रैल 2019 में क्रमशः 8 करोड़ रुपये व 155 करोड़ रुपये था।
उन्होंने कहा कि विभाग की पहलों के कारण राजस्व संग्रह में वृद्धि की सफलता हासिल हुई है। विशेषकर करदाताओं के साथ नियमित रूप से बातचीत और उन्हें प्रशंसा पत्र जारी कर महामारी के इस समय में राज्य की अर्थव्यवस्था के प्रति उनके योगदान और समय पर अनुपालना के लिए प्रेरित किया गया है। इसके अलावा, प्रदर्शन कार्ड के माध्यम से क्षेत्रीय इकाइयों की निगरानी ने क्षेत्र संरचनाओं के पार एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धी माहौल तैयार किया है, जिसके परिणामस्वरूप अधिकारियों को निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अधिक प्रेरणा मिली है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि विभाग ने हाल ही में बेहतर पारदर्शिता के लिए प्रदर्शन कार्ड का उपयोग करते हुए अपने प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए एक और पहल की है। वर्धित विश्लेषणात्मक और डेटा संचालित क्षमताओं के साथ कार्य इकाइयों के प्रयासों को और मजबूत किया गया है। विभाग ने मुख्य क्षेत्रों में अधिकारियों के कार्यात्मक और तकनीकी कौशल को बढ़ाने पर भी जोर दिया है। इन पहलों से राज्य के राजस्व प्राप्तियों में वृद्धि हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विभाग ने राज्य जीएसटी राजस्व संग्रहों को बढ़ाने के लिए प्रमुख फोकस क्षेत्रों की पहचान की है, जिसके परिणामस्वरूप कोविड-19 मामलों में बढ़ोतरी के बावजूद जीएसटी संग्रह में निरंतर वृद्धि हुई है। ई-वे बिल के भौतिक सत्यापन, जीएसटीआर3बी रिटर्न फाइलिंग का अनुपालन, देर से रिटर्न दाखिल करने पर ब्याज की वसूली, अयोग्य आईटीसी की वसूली, कर चोरी और गलत रिफंड से संबंधित मामलों की पहचान प्रमुख फोकस क्षेत्र हैं।
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