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जिस देश में रीढ़ समझे जाने वाले कर्मियों के हक छीने जाते हैं तो सोचना होगा कि बाकि लोगों की क्या दशा होगी


  • पालमपुर,दीपांशु बंटा
    देश तभी विकसित होते हैं जब उस देश की प्रजा विकसित हो । जिस देश में रीढ़ समझे जाने वाले कर्मियों के हक छीने जाते हैं तो सोचना होगा कि बाकि लोगों की क्या दशा होगी । पेंशन बहाली सयुंक्त मोर्चा हिमाचल प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण शर्मा व राज्य प्रधान सचिव एल डी चौहान ने हर राजनीतिक दल से पूछा कि जब पेंशन कर्मचारियों से छीन ली तो फिर छीनने वाले नेता शपथ भर लेने के बाद, लाखों की पेंशन जो कि ताउम्र मिलती है ,किस अधिकार से लेते हैं ।




सयुंक्त मोर्चा पदाधिकारियों ने कहा कि पेंशन हर कर्मी के बुढ़ापे की लाठी थी जिसे अंग्रेज लोग ही लागू कर गए थे । संविधान में भी इसका प्रावधान था परन्तु 2003 में इस व्यवस्था को देश को विकसित करने वाली सरकार ने बन्द कर दिया । प्रदेशाध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने कहा कि ऐसे में लोकतंत्र की सही परिभाषा बताई जाए क्योंकि लोकतंत्र का मतलब हर व्यक्ति देश का हिस्सा है परन्तु हकों को छीन कर तो लगता है कि इस देश में नेतातन्त्र है । जहां कभी भी लोगों के मौलिक अधिकारों को छीन लिया जाता है। एनपीएस के तहत रिटायर कर्मी दो वक्त की रोटी के मोहताज हैं । परन्तु सरकार को एनपीएस कर्मियों की व्यथा नही सुनाई देती । उन्होंने कहा कि दुःख होता है जब केंद्र की अधिसूचनाओं को भी एनपीएस कर्मियों पर लागू नही किया जाता । प्रदेश में बहुत से एनपीएस कर्मी हादसों में मर गए ।
उन्होंने कहा कि सरकार ने उन्हें पुरानी पेंशन नही दी जबकि यह सुविधा केंद्रीय कर्मचारियों को 2009 से मिलती है । कहा कि नेता वही अच्छा होता है जो निष्पक्ष कार्य करे और देश की प्रजा के हित में कार्य करे । हम यह कदापि नही कहते कि नेताओं को रिटायर मेन्ट के बाद लाखों की पेंशन क्यों मिलती है बल्कि हम तो यह पूछते है कि जिस पेंशन का हक संविधान में नेताओं के लिए लिखित नही हैं उसे किस प्रकार से लेते हैं । और किस संविधान के तहत कर्मचारियों से पेंशन का हक हक छीन लिया जो कि वर्तमान संविधान में लिखित था । मोर्चा पदाधिकारियों ने कहा कि वर्तमान सरकार पुरानी पेंशन बहाल नही करना चाहती और विपक्ष भी एनपीएस कर्मियों के हित में नही बोलता । हम चाहते हैं कि सरकार के नुमाइंदे उन घरों में जरूर जाए जहां रिटायर पेंशन से बंचित कर्मी रहते हैं । मात्र 800 रुपये की पेंशन मिलती हैं और उनके बच्चे बेरोजगार हैं । विडम्बना है कि इन रिटायर कर्मियों से सरकार ने वर्षों अनुबन्ध पर भी कार्य लिया है ।हम चेतावनी देते हैं कि सरकार एनपीएस कर्मियों को वही पेंशन दे जो रिटायर मेन्ट के बाद नेता लेते हैँ और एनपीएस कर्मियों के लिए केंद्र की अधिसूचना ,प्रदेश सरकार लागू करे व नौकरी के दौरान हर मृत कर्मी के परिवार को पुरानी पेंशन दी जाए । अन्यथा  मजबूरन मोर्चा को आंदोलन करना पड़ेगा ।क्योंकि एनपीएस कर्मी त्रस्त हैं।

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