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दोहरे हत्याकांड में तीन को उम्रकैद दो को किया बरी


  • शिमला,रिपोर्ट
    शिमला में हुए दोहरे हत्याकांड में शामिल पांच आरोपियों में से तीन को जिला अदालत ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है और दो बरी कर दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मदन कुमार की अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाया।




अदालत ने पांच आरोपियों में से तीन को दोषी करार देते हुए हत्या के मामले में उम्रकैद और 25000 हजार जुर्माने की सजा तथा डकैती मामले में दस साल सजा और तथा 20000 हजार जुर्माना लगाया है।

जुर्माना अदा न करने पर एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। इस मामले में अभियोजन पक्ष ने 23 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं। इस मामले में पुलिस ने राजकुमार थापा, चेती राम, अशोक थापा, निर्मल बुद्धा और हेमराज को आरोपी बनाया था। इनमें से अदालत ने राजकुमार, चेती राम और हेमराज को दोषी करार देते हुए यह सजा सुनाई है।

आपको बता दें कि वर्ष 2015 में न्यू आईएसबीटी शिमला के पास हुए कत्ल हुए दिली बहादुर और संजीत 19 जनवरी 2015 को आईएसबीटी गए थे। इन्होंने यहां से नेपाल जाना था। आईएसबीटी पहुंचने पर इन्हें राजकुमार और चेतीराम मिले। चारों लोग शराब पीने बस स्टैंड से नीचे खनोग गांव की ओर चले गए। शराब पीने के बाद राजकुमार और चेतीराम ने दिली बहादुर की पिटाई कर दी।

दिली बहादुर वहां गिर गया और उसकी मौत हो गई। इसके बाद राजकुमार और चेतीराम, संजीत को बहलाकर ऊपर की ओर ले लाए। कुछ दूर पहुंचते ही संजीत का गला घोंट कर उसे मार दिया। मामला छिपाने के लिए राजकुमार और चेतीराम ने संजीत की गर्दन काट दी थी। आईएसबीटी टुटीकंडी मर्डर केस में गोहर पुलिस के सहयोग से शिमला से आई पुलिस ने जंजैहली के मगरूगला से नेपाली मूल के दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था।

पुलिस पूछताछ में जो सच सामने आया था उससे हर कोई सकते में था। आरोपियों ने पूछताछ में कबूल किया था कि उन्होंने महज आठ हजार रुपये के लिए दो लोगों को निर्ममता से मौत के घाट उतार डाला। हत्या में इस्तेमाल किए हथियारों की बरामदगी भी इनसे हुई थी। कत्ल के बाद आरोपी दिली बहादुर की जेब से आठ हजार लूट कर ले गए थे। इन्हें कुल्लू से पकड़ा गया था।

आईएसबीटी के पास पांजडी रोड में 20 जनवरी को पुलिस को सिर कटी लाश और सिर बरामद हुआ था। इस शव की शिनाख्त नहीं हुई थी। 22 जनवरी को आईएसबीटी से नीचे सटे खनोग गांव में एक और शव मिला था। यह शव नेपाल मूल के दिली बहादुर का था। जांच के दौरान पता चला कि दिली बहादुर अपने भांजे संजीत चौधरी के साथ हीरानगर के पास खनेट गांव में रहता था। यहां यह मेहनत मजदूरी करते थे। दिली बहादुर और संजीत को खनेट गांव में आखिरी बार 19 जनवरी को देखा गया था।

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