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कोरोना से ठीक होने वाले 20-30 फीसदी मरीज 6 महीने में खो रहे नेचुरल इम्युनिटी- नई स्टडी में खुलासा


  • नई दिल्ली,रिपोर्ट
    शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण के 7,897 नए मामले सामने आए। जबकि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 24 घंटे के अंदर कोरोना के 9,327 मामले सामने आए।


 



कोरोना संक्रमण के खिलाफ नेचुरल इम्यूनिटी कब तक रहती है? यह सवाल हर किसी के मन में है, खासकर उन लोगों के मन में जो हाल फिलहाल में कोरोना संक्रमण के शिकार और उससे रिकवर हुए हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी की एक रिसर्च के मुताबिक नेचुरल इम्यूनिटी कम से कम 6-7 महीने तक रहती है, मगर कोरोना से संक्रमित हो जाने वाले 20-30 प्रतिशत लोगों में 6 महीने बाद से ही प्रतिरक्षा शक्ति घटने लगती है।

आईजीआईवी के डायरेक्टर डॉ. अनुराग अग्रवाल कहते हैं, इस पर रिसर्च महत्वपूर्ण है क्योंकि यही संक्रमण की दूसरी लहर की सही व्याख्या कर सकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के खिलाफ इस्तेमाल की जा रहीं वैक्सीन भी मरीजों को गंभीर संक्रमण और मरने से कम से कम दो साल तक ही बचाए रख सकने में सक्षम है।

दिल्ली और मुंबई में तेजी से बढ़ रहा कोरोना


रिसर्चर का कहना है कि मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेज वृद्धि देखी जा रही है। दिल्ली में जनवरी में सिर्फ 56 प्रतिशत से ज्यादा सेरोपोसिटिविटी या एंटीबॉडीज़ पाई गई थी, जिसकों लेकर डॉक्टरों का मानना ​​है कि नवंबर के बाद संक्रमण की वृद्धि में कमी की यही वजह थी। बीते दिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण के 7,897 नए मामले सामने आए। जबकि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 24 घंटे के अंदर 9,327 मामले सामने आए।

आईजीआईबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रकाशन के लिए स्वीकार किए गए अध्ययन के लेखकों में से एक डॉ. शांतनु सेनगुप्ता ने कहा, सितंबर में हमने सीएसआईआर (काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) की प्रयोगशालाओं में सीरो-सर्वे किया था। जिसमें 10 प्रतिशत से ज्यादा पार्टिसिपेंट्स में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज पाई गई थीं। फिर इन्हें 5 से 6 महीनों के लिए ऑब्जर्वेशन में रखा गया और उनके एंटीबॉडी लेवल की जांच करने के लिए एक मात्रात्मक परीक्षण किया गया।

10,427 प्रतिभागियों पर किया गया अध्ययन


पांच से छह महीनों में लगभग 20 प्रतिशत पार्टिसिपेंट्स ने एंटीबॉडी होने के बावजूद न्यूट्रलाइजेशन एक्टिविटी खो दी थी। बाकी बचे पार्टिसिपेंट्स की भी न्यूट्रलाइजेशन एक्टिविटी में गिरावट देखी गई। न्यूट्रलाइजेशन, एंटीबॉडी की एक क्षमता है, जो वायरस को खत्म करने और उसको शरीर के किसी सेल में प्रवेश करने से पूरी तरह से रोकता है।

10,427 प्रतिभागियों पर की गई रिसर्च में से लगभग 1,058 या 10.14 प्रतिशत प्रतिभागियों का पिछले साल सितंबर में एंटीबॉडी के लिए किया गया टेस्ट पॉजिटिव आया था। शोधकर्ताओं ने पांच और छह महीने के लिए 1058 में से 175 को ट्रैक किया और पाया कि 31 या 17.7 प्रतिशत ने न्यूट्रलाइजेशन एक्टिविटी खो दी और अन्य आठ (4.6 प्रतिशत) में एंटीबॉडीज मिले थे।

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