- इस सर्दी अभी तक महज 96 सेंटीमीटर ही हुई बर्फबारी, सूखे की आशंका
- कम बर्फबारी से ग्लेशियरों को नहीं मिला कवच, घाटी में हैं करीब 250 ग्लेशियर
- लाहौल-स्पाीति,रिपोर्ट
जनजातीय जिला लाहौल-स्पाीति में इस सर्दी ने सबसे कम बर्फबारी का दशकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। कम बर्फबारी होने से सैकड़ों साल पुराने ग्लेशियरों को इस बार कवच नहीं मिला है। इससे सूखे की आशंका बढ़ गई है। मौसम विज्ञान केंद्र के रिकॉर्ड के मुताबिक 2021 की सर्दी को दशकों बाद बर्फबारी के बगैर सबसे सूखा साल दर्ज किया गया है। इस सर्दी में अभी तक महज 96 सेमी बर्फबारी रिकॉर्ड हुई है।
लाहौल-स्पीति के पहाड़ों में करीब 250 से अधिक ग्लेशियर हैं। ये गर्मियों में पिघलकर सतलुज और चिनाब नदी को संजीवनी देते हैं। इस बार कम बर्फबारी होने से इसका सीधा असर इन दो प्रमुख नदियों के जलप्रवाह पर पड़ेगा। सीबी रेंज, पीरपंजाल और वृहद हिमालय के सैकड़ों साल पुराने ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार भी तेज हो सकती है। बुजुर्ग बताते हैं कि लाहौल-स्पीति पहली बार में दशकों बाद इतनी कम बर्फबारी हुई है।
कम बर्फबारी के कारण घाटी के तापमान में भी असामान्य वृद्धि दर्ज हुई है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार इस साल जनवरी में 88 सेंटीमीटर, फरवरी में महज 6 सेंटीमीटर और मार्च में अभी तक केवल 3 सेंटीमीटर बर्फ रिकॉर्ड की गई। कम बर्फबारी होने से लाहौल-स्पीति के करीब 70 फीसदी हिस्से से मार्च में ही बर्फ की चादर गायब हो चुकी है।
85 साल से अधिक के बुजुर्ग फुंचोग, मानदास, जोगचंद और दोरजे ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन काल में इस तरह का मौसम कभी नहीं देखा। केलांग समेत पूरी पट्टन घाटी में बर्फ पिघल गई है। आने वाले दिनों में घाटी के कई हिस्सों में पानी की भारी किल्लत रहेगी। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निरीक्षक हरी दत्त ने कहा कि कई सालों बाद हिमाचल में सबसे कम बारिश और बर्फबारी रिकॉर्ड हुई है।
लाहौल-स्पीति में साल 2005 से हुई बर्फबारी की सूची
साल बर्फबारी सेंमी में
2005 231 सेंमी
2006 342 सेंमी
2007 293 सेंमी
2008 235 सेंमी
2009 283 सेंमी
2010 193 सेंमी
2011 301 सेंमी
2012 231 सेंमी
2013 304 सेंमी
2014 281 सेंमी
2015 442 सेंमी
2016 172 सेंमी
2017 270 सेंमी
2018 362 सेंमी
2019 719 सेंमी
2020 280 सेंमी
2021 96 सेंमी मार्च 9 तक
साभार अमर उजाला।
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