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बाबा बालक नाथ की तपोभूमि शाहतलाई मैं बड़ी धूमधाम से मनाया गया महाशिवरात्रि का पर्व


  • शाहतलाई,रिपोर्ट
    शिवरात्रि के महापर्व पर शिव मंदिर बच्छरेटू में खूब चहल पहल रही वंही शिव भक्तों ने झांकियां निकाल कर मंदिरों में पूजा अर्चना के साथ जल अभिषेक भी किया। शिव मंदिर बम बम भोले के जयकारों से गुंजा उठा और मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, ऐतिहासिक शिव मंदिरों को दुल्हन की तरह सजाया।




शिव मंदिर बच्छरेटू में हिमाचल ही नहीं बल्कि पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से आये श्रद्धालुओं ने भी शीश नवाया। शिव मंदिर बच्छरेटू के प्रांगण में बनी छ: फुट उंची नंदी गण की मूर्ति और शीतल जल का तालाब आर्कषण का केंद्र बिंदु बना हुआ है जोकि श्रद्धालुओं को अपनी ओर आर्कषित करती है।


बाबा बालक नाथ की तपोभूमि शाहतलाई मैं बड़ी धूमधाम से मनाया गया महाशिवरात्रि का पर्व इस  मौका भरो श्री वैष्णो देवी माता जागरण पार्टी बाजार में झांकी निकाली भोले शंकर का जागरण किया इस मौके पर काफी संख्या में से भगत उपस्थित रहे

इस अवसर पर डॉ. कपिलदेव भारद्वाज (वसिष्ट शास्त्री , ज्योतिष आचार्य , शिक्षाशास्त्री श्री लाल बहादुर शास्त्री केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली  )ने बताया कि प्राचीन शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव पर अर्पित करने हेतु बिल्व पत्र तोड़ने से पहले एक विशेष मंत्र का उच्चारण कर बिल्व वृक्ष को श्रद्धापूर्वक प्रणाम करना चाहिए, उसके बाद ही बिल्व पत्र तोड़ने चाहिए। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने बताया कि  शिव पुराण में कहा गया है कि भगवान शिव ही स्वयं जल हैं शिव पर जल चढ़ाने का महत्व भी समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा है। अग्नि के समान विष पीने के बाद शिव का कंठ एकदम नीला पड़ गया था। विष की ऊष्णता को शांत करके शिव को शीतलता प्रदान करने के लिए समस्त देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। इसलिए शिव पूजा में जल का विशेष महत्व है।

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