नारी संबल योजना में संशोधन की बताई जरूरत,
अफसरशाही पर नकेल और फिजूलखर्ची पर भी रोक की मांग
पहले भी सदन में कई मामलों में अपनी ही सरकार को घेर चुके हैं भाजपा विधायक
- शिमला,रिपोर्ट
- हिमाचल प्रदेश विधानसभा बजट सत्र के दसवें दिन बुधवार को भाजपा विधायक रमेश धवाला ने अब संपन्न महिलाओं को 1000 रुपये पेंशन देने की योजना पर सवाल उठाया है। नारी संबल योजना में संशोधन की जरूरत बताते हुए धवाला ने अफसरशाही पर नकेल कसने और फिजूलखर्ची पर भी रोक लगाने की मांग की है। इससे पहले भी सदन में कई मामलों में अपनी ही सरकार को धवाला घेर चुके हैं।
बजट पर चर्चा करते हुए धवाला ने कहा कि 65 से 69 आयु की सिर्फ जरूरतमंद महिलाओं को इस योजना का लाभ मिलना चाहिए। धवाला ने कहा कि मेरी पत्नी भी इस आयु वर्ग के तहत आती हैं। उन्हें 1000 रुपये देने की जरूरत नहीं है। इसी तरह कई सरकारी कर्मी जो पेंशन के तौर पर अच्छा पैसा ले रहे हैं, उनकी पत्नियों को भी इस दायरे से बाहर करना चाहिए।
प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में रोजगार प्राप्त करने और आर्थिक तौर पर मजबूत होने की अपार संभावनाएं हैं लेकिन योजनाएं फाइलों तक ही सीमित हैं। हालात यही रहे तो वेतन देना तक मुश्किल हो जाएगा। अफसरों की फौज खड़ी हो गई है। निगम-बोर्ड घाटे में हैं। इनके लिए काम ढूंढा जाना चाहिए।
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हमारी सरकार में किसी ने भी भ्रष्टाचार किया तो करूंगा खुलासा
भाजपा विधायक रमेश धवाला ने कहा कि हमारी सरकार में वैसे तो कोई भ्रष्टाचार नहीं कर रहा है, लेकिन अगर किसी ने ऐसा किया तो मैं उसका खुलासा करूंगा। धवाला ने कहा कि कोरोना संकट के दौरान विधायकों और मंत्रियों ने अपना वेतन दिया। बावजूद इसके हमें बाहर चोर कहा जाता है। उन्होंने कहा कि अपने लिए कोई भी जी लेता है, लेकिन औरों के लिए काम करके जीना चाहिए। पूर्व कांग्रेस की कार्यप्रणाली पर कटाक्ष करते हुए धवाला ने कहा कि बाली के समय में बसें हर कहीं खड़ी रहती थीं।
लोगों ने एचआरटीसी का नाम ‘हसदी-रौंदी तुरदी चल’ रखा था। भाजपा सरकार में परिवहन मंत्री तेजतर्रार हैं। मुख्यमंत्री ने दो सौ इलेक्ट्रिक बसें लेने का फैसला लिया है। इससे डीजल पर निर्भरता कम होगी। धवाला ने कहा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक बच्चे को पढ़ाने के लिए करीब 70 हजार का वेतन लेने वाला एक शिक्षक नियुक्त है। चार-पांच बच्चों की संख्या वाले कई स्कूल हैं। इन्हें समायोजित किया जाना चाहिए। विचार करने की जरूरत है।
साभार दैनिक अमर उजाला
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