कांग्रेस विधायक और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि विपक्ष के विधायकों के साथ विधानसभा उपाध्यक्ष और मंत्रियों धक्कामुक्की की है। ऐसे में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। भाजपा सरकार ने अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए कांग्रेस के 5 विधायक निलंबित किए हैं। बजट सत्र में महंगाई, कोरोना में भ्रष्टाचार, गलत तरीके से भर्तियों समेत अनेक मामलों में सरकार बेनकाब होने वाली थी। राज्यपाल का पद संवैधानिक और गैर राजनीतिक, कांग्रेस के लिए सम्मानीय है। कांग्रेस हर मुद्दे पर सदन में सरकार का कच्चा चिट्ठा खोलेगी।
कांग्रेस विधायकों ने राज्यपाल के समक्ष अपना रोष प्रकट किया था। कांग्रेस विधायकों ने उनका रास्ता नहीं रोका, बल्कि अपनी बात रखने का प्रयास किया। भाजपा सरकार ने इसका राजनीतिकरण कर हंगामे और राज्यपाल के पद का अनादर करने का नाम दे दिया। प्रदर्शन तो सभी विधायक कर रहे थे फिर पांच को ही निलंबित क्यों किया गया। कांग्रेस विधायकों की मंशा राज्यपाल अभिभाषण में खलल डालने या उनका रास्ता रोकने की कतई नहीं थी।
सुक्खू ने कहा कि राज्यपाल ने भी कांग्रेस के वरिष्ठ विधायकों को बुलाकर उनकी बातों को सुनना उचित नहीं समझा। स्पीकर सभी विधायकों के कस्टोडियन होते हैं, उन्हें गतिरोध टालने की कोशिश करनी चाहिए थी। उन्होंने भी कांग्रेस विधायकों को बुलाकर कोई वार्तालाप नहीं किया। वीडियो क्लिप में साफ नजर आ रहा है कि कांग्रेस विधायकों से हाथापाई कौन कर रहा है। फिर एकतरफा कार्रवाई क्यों की गई। स्पीकर को निष्पक्ष होकर इंसाफ करना चाहिए।
सत्ता पक्ष और विपक्ष बैठकर सुलझाएं मामला : बाली
बजट सत्र के पहले दिन हुए हंगामे के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जीएस बाली ने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष को पहले आपस में बैठकर पूरे मामले को सुलझाना चाहिए। एक प्रतिनिधिमंडल राजभवन जाए और राज्यपाल से मुलाकात कर पूरे मामले पर खेद जताए। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अगिभनहोत्री सहित अन्य विपक्षी विधायकों के खिलाफ एफआईआर में जो धाराएं लगाई गई हैं, वे सही नहीं है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रद्रोह का केस बिल्कुल भी नहीं बनता है।
पूर्व मंत्री जीएस बाली रविवार को कांग्रेस पार्टी प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत कर रहे थे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हंगामे के क्या कारण रहे और कौन-कौन इसमें शामिल थे, वे इस पर चर्चा नहीं करना चाहते। हिमाचल को देवभूमि और शांतिप्रिय प्रदेश के रूप में जाना जाता है। राज्यपाल एक संवैधानिक पद है और सभी का दायित्व है कि उनके सम्मान में कोई कमी न हो और न ही किसी तरह से ठेस पहुंचे।
बाली ने कहा कि राज्यपाल को हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष के चैंबर और फिर निवास तक सुरक्षित पहुंचाने का काम सरकार का है। यहां कहीं ना कहीं कानून व्यवस्था और खुफिया नाकामी रही है। जो भी हुआ उसके लिए वे खेद प्रकट करते है और सत्तापक्ष को भी चाहिए कि वे भी खेद प्रकट करें।
नेता प्रतिपक्ष के बदले अब सदन में आशा और सुखविंद्र संभालेंगे मोर्चा
नेता प्रतिपक्ष के बदले अब हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदन में बजट सत्र के दूसरे दिन वरिष्ठ विधायक आशा कुमारी और विधायक और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुखविंद्र सिंह मोरचा संभालेंगे। पूरे बजट सत्र तक नेता प्रतिपक्ष सहित पांच कांग्रेस विधायकों को निलंबित हैं।
कांग्रेस विधायक दल की भावी रणनीति के तहत कांग्रेस के पांचों निलंबित विधायक विधानसभा के बाहर और अन्य कांग्रेस सदस्य सदन के हंगामा भीतर करेंगे। ये सदस्य सदन के भीतर अपने तीखे तेवरों के साथ रहेंगे ताकि सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरकर रखा जा सके। सरकार पर ज्वलंत मुद्दों खासकर महंगाई, भ्रष्टाचार और अवैध खनन को लेकर सरकार को निशाने पर रखा जाएगा।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस विधायक दल रणनीति के तहत सदन में शोक प्रस्ताव के बाद उपाध्यक्ष के खिलाफ एफआईआर दर्र्ज कराने के लिए दबाव डालेगा। इसके अतिरिक्त निलंबित विधायक सदन के बाहर बैठक सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलकर रखेंगे। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि आशा और सुखविंद्र मोर्चा संभालेंगे।
साभार दैनिक अमर उजाला
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