संजीव महाजन : नूरपुर "मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है पंखो से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है" नूरपुर शहर में वार्ड नम्बर 2 का अभेद्य किला जीतने के लिए भले ही वन मंत्री की अगुवाई में सभी कार्यकर्ताओं ने जोर लगाया लेकिन जिस सिपाही को पठानिया ने मैदान में उतारा उसके इरादों में हौंसला सिर्फ एक शख्स ने भरा। हम बात कर रहे है भाजपा युवा मीडिया प्रभारी ईशान महाजन की। नूरपुर शहर के वार्ड नम्बर 1 में गुलशन महाजन के घर 11 दिसम्बर 2000 को जन्मा यह शख्स जब कोई काम को करने की ठान लेता है तो पूरा करके ही दम लेता है। सन 2016 में महज 16 साल की आयु में राकेश पठानिया की टीम का सदस्य बना। उससे पहले उसके घर से उसकी तायी रजनी महाजन नगर परिषद के लगातार 3 चुनाव हार चुकी थी और दोबारा लड़ने का कोई इरादा नहीं था। इस बार नगर परिषद चुनावों में जब भाजपा को वार्ड नम्बर 2 के लिए कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं मिल रहा था तो भाजपा ने रजनी महाजन पर दबाब बनाया। लेकिन अपने वार्ड को छोड़कर दूसरे वार्ड में जाकर चुनाव लड़ना, उस परिवार के खिलाफ लड़ना जो कभी किसी से हारा नही, दोनों परिवारों के आपसी सम्बंध और लगातार 3 हार का टैग कई ऐसे कारण रहे की रजनी महाजन ने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। लेकिन यह जिद्दी शख्स इशान महाजन परिवार को चुनाव लड़ाने के लिए अड़ गया। काफी दिनों तक परिवार में इस विषय को लेकर चर्चा चलती रही और इशान महाजन चुनाव लड़ने के लिए रजनी महाजन और परिवार को मनाता रहा। अंत मे इशान की जीत हुई तथा रजनी महाजन चुनाव लड़ने के लिए राजी हुई। रजनी महाजन के नामांकन से पहले ही इशान महाजन ने वार्ड नम्बर 2 में गलियों और मोहल्ले को नापना शुरू कर दिया और नामांकन से लेकर चुनाव तक परिवार का हौंसला बढ़ाने के साथ साथ दिन रात प्रचार में डटा रहा। रजनी महाजन के चौथे चुनाव में वन मंत्री की अगुवाई में कार्यकर्ताओं की मेहनत के साथ इशान का जज़्बा और हौंसला भी जीत का कारण बना। शायद यह पंक्तिया इशान जैसे जुनूनी शख्स के लिए ही लिखी गयी है
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