सीएसआईआर के जुल्म से परेशान महिलाओं ने पूर्व विधायक के समक्ष रोया दुखड़ा
- पालमपुर 19 अगस्त,प्रवीण शर्मा
62 वर्ष पहले मेरे पति स्वर्गीय पुन्नू राम मुझे डोली में ब्याह करके यहां इसी घर में लाए थे । सी एस आई आर प्रशासन हमें यहाँ से भगाने के लिए जो मर्जी हथकण्डे एवं तोर तरीके अपना कर हमारे ऊपर मनचाहे जुल्म ढाह ले लेकिन मेरी अर्थी भी इसी घर के आँगन से निकलेगी ।
यह उद्गार पालमपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत मुहाल होल्टा टांडा ( भरमात ) के वार्ड नम्बर 2 की पांच विधवायें धोनी देवी पत्नी पुन्नू राम , विमला देवी पत्नी छांगा राम , बीना देवी पत्नी रवि कुमार , सावित्री देवी पत्नी भूरू राम , निर्मला देवी पत्नी सन्त राम , समाज सेवा में समर्पित इन्साफ संस्था के अध्यक्ष पूर्व विधायक प्रवीन कुमार से उनके आवास पर मिली और इन्साफ के लिए अपना दुखड़ा रोया ।
इनमें से सबसे बुजुर्ग धोनी देवी ने पूर्व विधायक को बताया कि जब मेरी शादी हुई थी तब यहां किसी प्रकार का कोई सी एस आई आर कम्पलैक्स नहीं था। हम आई एच बी टी के कार्यालय की स्थापना से पहले यहां रह रहे हैं । अनपढ़ता के चलते पता नहीं बंदोबस्त के दौरान आबादी देह वाली इस भूमि को किस तरह और कैसे किस दबाव में इसकी किस्म को राजस्व अभिलेख में बदला गया परिणाम स्वरूप आज हम सभी परिवार सी एस आई आर प्रशासन के बन्दी अर्थात कैदी के रूप में अपना जीवन यापन जी रहे हैं ।
इन सभी ने एक स्वर में पूर्व विधायक को बताया कि सी एस आई आर प्रशासन ने हमारी आजादी के ऊपर प्रहार करते हुए हमारा जीना हराम करके रख दिया है । हम यहां न तो माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय के निर्माण की सुविधा ले सकते हैं और न ही हम प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ उठा सकते हैं । इन्होंने बताया यहाँ तक कि हमारा अगर कोई रिश्तेदार किसी प्रकार का वाहन लेकर हमारे पास आना चाहे तो सी एस आई आर का ठीकरी पहरा उन्हें हमसे मिलने की इजाज़त नहीं देता ।
इन पांचों विधवाओं ने पूर्व विधायक को बताया कि चाहे पंचायत के चुनाव हो या विधानसभा के या लोकसभा के सभी नेता एवं कार्य कर्ता उस वक्त वोट की खातिर हमारी व्यथा वेदना व पीड़ा को देखकर हमारे साथ सुर से सुर मिलाते हुए मगरमच्छी आंसू बहाते हैं ओर वोट लेकर चले जाते हैं और आशीर्वाद देने की बड़ी-बड़ी बातें करके हमारी समस्या के समाधान का आश्वासन देते हैं लेकिन उसके बाद इस तरह क ई पंचायतें व क ई सरकारें आई परंतु हमारी इस नरक रुपी जिन्दगी का आज दिन तक किसी ने कोई समाधान नहीं किया । इस तरह की जिन्दगी से आहत अपने बच्चो के प्रति बेहद चिन्ता जताते हुए इन्होंने रुंधे गले से कहा काश! कि आज हमारे पति जिन्दा होते ।
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