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कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति से पहले हो व्यापक जांच:प्रवीण

हिम जन कल्याण संस्था के अध्यक्ष ने कुलपति पर लगाये आरोप
पालमपुर,मोनिका शर्मा
पिछले कुछ दिनों से मैंने जिस प्रकार पालमपुर में व्यवस्था सुधार एवं भ्रष्टाचार उन्मूलन को लेकर जो मुहिम शुरू की गई है उसी परिपेक्ष में आज मुझे बड़ी खुशी है कि प्रदेश सरकार ने पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति के पद को विज्ञापित कर दिया है। इसके लिए मैं महामहिम राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने हमारे उठाएं विषयों का संज्ञान लेते हुए यह पद विज्ञापित किया है। उक्त शब्द हिम जन कल्याण संस्था के अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने पालमपुर में पत्रकार वार्ता में कहे। उन्होंने कहा कि इससे विश्वविद्यालय में जहां नए व्यक्ति की नियुक्ति से पारदर्शिता आएगी उच्च आदर्श स्थापित होंगे और भ्रष्टाचार उन्मूलन अभियान को भी गति मिलेगी।

उन्होंने कहा कि आप सभी के ध्यान में लाना चाहता हूं 2013 के बाद पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में दो कुलपति नियुक्त हुए और दोनों की नियुक्तियां विवादों के घेरे में आ गई।

दोनों के बायोडाटा के साथ साथ अनेक भ्रष्टाचार के आरोप जनता ने विद्यार्थियों ने और अध्यापकों ने लगाए। प्रवीण शर्मा ने आरोप लगाया कि आखिर क्या कारण थे कि यह गंभीर आरोप लगे । किसी भी नियुक्ति के समय चाहे वो चपरासी की चाहे अध्यापक की हो गार्ड की हो या विधायक और सांसद का चुनाव हो हर नियुक्ति से पहले उस व्यक्ति का अपराधिक रिकॉर्ड उसे सार्वजनिक करना पड़ता है और उसके बाद नियोक्ता यह देखते हैं कि यह अपराध नैतिक पतन के दायरे में तो नहीं आता है। अगर वह अपराध नैतिक पतन के दायरे में आता हो तो वह नियुक्ति नहीं की जाती है।

अपराधिक मामला होने के बावजूद किस प्रकार से अशोक सरियाल बने कुलपति


जैसे विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति अशोक सरियाल 2010 में आईसीआर में प्रिंसिपल साइंटिस्ट के पद से सिलेक्ट होने के बाद भी नियुक्त नहीं किए गए थे। जिसका कारण उनके ऊपर जो आपराधिक मामला चल रहा है वह कारण रहा। जो व्यक्ति एक पद के लिए अयोग्य करार दिया गया है वह एक इतने बड़े पद के लिए कैसे योग्य हो गया यही जांच का विषय है। इसका सीधा सीधा मतलब यह है कि चपरासी बनना मुश्किल है जबकि कुलपति बनना आसान है।

उन्होंने कहा कि इस प्रेस वार्ता का केवल मात्र एक ही उद्देश्य है की पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय को बचाना है ना बायोडाटा मैं गलत जानकारी देकर कोई कुलपति बने और जो नियम चपरासी से लेकर सांसद तक अपराधिक मामलों में होते हैं उसके अनुरूप ही नियुक्ति हो। इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि डिप्टी कंट्रोलर ऑडिट के पत्र में सीधा-सीधा साफ शब्दों में यह लिखा गया है कि नियमों के विपरीत साढ़े पांच करोड़ का अनियमित व्यय हुआ है। उसमें एक आउट सोर्स सर्विस प्रोवाइडर कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाने का वर्णन किया गया है।

इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि रिटायर्ड कर्मियों को स्टूडेंट फंड पर रखा जाता है। इस तरह के कई और भी आरोप प्रवीण शर्मा ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लगाए जिसमें उन्होंने सरकार से मांग की कि इस विषय पर निष्पक्ष एजेंसी से जांच करवा कर पूरे तथ्य सामने लाए जाएं तथा जो भी सबूत उनके पास है उनकी जांच की जाए। उन्होंने कहा कि इस विषय को लेकर तथा अनियमितताओं को लेकर एक व्यापक पत्र महामहिम राज्यपाल मुख्यमंत्री केंद्रीय कृषि मंत्री को भेजा गया है जिसमें मांग की गई है कि इनको तुरंत प्रभाव से इनकी सारी वित्तीय शक्तियां छीन ली जाए तथा मुख्य सचिव कृषि को यह पावर दी जाए।

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