विनिर्माण के क्षेत्र में विदेशी निवेश और नियंत्रण को अप्रत्यक्ष रूप में बढ़ावा मिलने के आसार
जालंधर ,हिमाचल फ़ास्ट ब्युरो
कुटीर, सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों का प्रतिनिधित्व करने वाला भारत का एकमात्र संगठन लघु उद्योग भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष बलदेव भाई प्रजापति महामंत्री गोविंद लेले ने केंद्र सरकार के सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग मंत्रालय द्वारा आर्थिक सुधारों के अंतर्गत जारी अधिसूचना के अंतर्गत ' उद्यम पंजीकरण' से पूर्व सुधारो की मांग करते हुए अपना पक्ष मंत्रालय को भेजा है। उन्होंने कहा कि नई नीति से विपदा के समय भारतीय अर्थव्यवस्था के तारणहार बनें कुटीर, सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों के हितों को हानि पहुँचने का अंदेशा है। देश हित के कई मुद्दे भी इस अधिसूचना में शामिल ही नही किए गए है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए लघु उद्योग भारती पंजाब के अध्यक्ष एडवोकेट अरविंद धूमल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिनेश लकड़ा, प्रदेश मीडिया प्रभारी विक्रान्त शर्मा ने सुधारो की चर्चा करते हुए बताया कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों का पंजीकरण केवल भारतीय स्वामित्व वाले उद्योगों का हो, उद्योगों में वर्गीकृत निर्माण इकाइयों और निर्माण सेवा प्रदाता इकाइयों को व्यापार व अन्य सेवा गतिविधियों से अलग रखा जाए।
उद्योगों के वर्गीकरण की नई परिभाषा में प्लांट और मशीनरी में निवेश राशि की गणना से एम एस एम ई डी एक्ट की धारा 7 की उप धारा 1 में स्पष्टीकरण आवश्यक है। प्लांट और मशीनरी में निवेश संबंधी बातों में नई परिभाषा के साथ दूर किया जाना चाहिए।इसे बदल के सभी वास्तविक निवेश ( भूमि, भवन, फर्नीचर और फिटिंग छोड़ कर) राशि को गणना में शामिल करना चाहिए। जारी अधिसूचना में आश्चर्यजनक रूप से टर्नओवर के लिए जो मानदंड बनाए गए है, उनमे से निर्यात के टर्नओवर को बाहर कर दिया गया है,उसे कुल टर्नओवर में शामिल करना आवश्यक है। इस ढंग से निवेश की सीमा बढ़ाई गई है, उससे प्रतीत होता है कि बड़े और मध्यम उद्योगों को छोटा दिखा कर सूक्ष्म, लघु उद्योगों के लिए सरकारी विभागों एवं सार्वजनिक उपक्रमों में 25 प्रतिशत की जो खरीद आरक्षित की गई है, उसमे अवांछित सेंध लगाई जा रही है। ऐसे में सूक्ष्म, लघु, बड़े व मध्यम उद्योगों के साथ प्रतियोगिता करने में सक्षम नही रहेंगे।
उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय नागरिक स्वामित्व की मांग इस लिए की जा रही है क्योंकि देखने मे आया है कि कई मध्यम और बड़े उद्योग विदेशो से अप्रत्यक्ष निवेश हासिल करके कार्य कर रहे है। कुल मिलाकर यह कदम आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते देश और सूक्ष्म, लघु उद्योगो के कदमो रोकेगा। विनिर्माण के क्षेत्र में विदेशी निवेश और नियंत्रण को अप्रत्यक्ष रूप में बढ़ावा देगा।
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