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कोविड के दृष्टिगत हमारे जो एम.एस.एम.ई. उद्यमी प्रभावित हुए हैं उनको आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत राहत देने के लिए कोलेटरल मुक्त ऑटोमैटिक ऋण:विक्रम ठाकुर


  • शिमला 9 जुलाई,अरविंद शर्मा
    हिमाचल प्रदेश के उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर एवं भाजपा के कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के पालक ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कोविड के दृष्टिगत हमारे जो एम.एस.एम.ई. उद्यमी प्रभावित हुए हैं उनको आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत राहत देने के लिए कोलेटरल मुक्त ऑटोमैटिक ऋण प्रदान करने के लिए अब तक का सबसे बड़ा 3 लाख करोड़ रूपए का वित्तीय पैकेज घोषित किया गया है ताकि बाजार में तरलता  Liquidity  बढ़ सके ।


 


इस आर्थिक पैकेज का मुख्य उद्देश्य यदि हम औद्योगिक दृष्टि से बात करें तो मैं कहना चाहूंगा कि कोविड के कारण हमारे औद्योगिक सैक्टर को जो एक धक्का लगा , उससे इस क्षेत्र को बाहर निकाल कर पुनः प्रगति पथ पर ले जाना है । अब तक हिमाचल प्रदेश में कार्यरत बैंको के द्वारा हमारे एम.एस.एम.ई. उद्यमियों को लगभग 1250 करोड़ रू 0 का ऋण इस आर्थिक पैकेज के अंतर्गत वितरित किया जा चुका है । हमारे उद्योग विभाग के अधिकारी , जब से यह पैकेज घोषित किया गया है , बैंकों के साथ मिलकर उद्यमियों को लाभ लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं , स्वयं उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने गत दिनों नाहन जाकर उद्यमियों से चर्चा की और आज भी वह सोलन जाकर जहां हमीरपुर , ऊना व बिलासपुर से भी अधिकारी व बैंक अधिकारी आ रहे हैं , चर्चा करने गए हैं । आशा की जा रही है कि हिमाचल में लगभग 2000 करोड़ तक का ऋण आपातकाली केडिट लाइन गारंटी योजना के तहत उद्यमियों को वितरित किया जाएगा ।

उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त जो इकाईयां अभी ठीक ढंग से कार्य कर रही हैं व भविष्य में अपना विस्तार करना चाहती हैं उनके लिए इस आत्मनिर्भर पैकेज के अंतर्गत 50 हजार करोड़ का फण्ड स्थापित किया गया है परन्तु अभी बैंकों का ध्यान उद्यमियों के लिए इमरजेंसी के डिट ऋण देने पर है । अतः फण्ड ऑफ फण्डस के अंतर्गत अभी तक बैंकों द्वारा ऋण देना शुरू नहीं किया गया है ।

उन्होंने कहा कि दबाव का सामना करने वाले MSMEs को राहत : दबाब का सामना करने के लिए 20 हजार करोड़ की केडिट गारंटी योजना शुरू की गई है । अभी तक हिमाचल के बैंकों द्वारा इस तरह का कोई भी वितरण नहीं किया गया है क्योंकि यह ऋण उन्हीं उद्यमियों को दिया जाना है जिनके ऋण में डिफाल्ट हुआ है । • सूक्ष्म विनिर्माण और सेवाओं की परिभाषा में बदलाव : इस प्रावधान के तहत हमारे प्रदेश के लगभग 99 प्रतिशत उद्यम एम.एस. एम.ई. की परिभाषा में आ जाएंगे तथा केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा मिलने वाले प्रोत्साहनों से लाभान्वित होंगे ।

उद्योगों और श्रमिकों के लिए ईपीएफ सपोर्ट


उन्होंने कहा कि हिमाचल के उद्योग अवश्य ही इससे लाभान्वित होंगे । उन्होंने बताया कि यह बताते हुए भी हर्ष हो रहा है कि 24 प्रतिशत की यह सपोर्ट आगामी और तीन माह के लिए बढ़ा दी गई है । इस योजना के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश में कुल 5175 योग्य संस्थान हैं तथा 99672 कामगार पात्र हैं ।

सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के विकास के लिए 10 हजार करोड़ तथा पशुपालन विकास के लिए ढांचागत सुविधा विकसित करने को 15 हजार करोड़ रू 0 , मत्स्य पालन वैल्यू चेन के लिए 20 हजार करोड़ रू 0 . मौन पालन विकास के लिए 500 करोड़ रू 0 तथा सामाजिक ढांचागत विकास के लिए 8100 करोड़ रू 0 का प्रावधान किया गया है । हिमाचल प्रदेश के लिए 1191 इकाईयों का लक्ष्य दिया गया है जिसमें स्वयं सहायता समूहों तथा महिला समूहों को शामिल किया जाएगा । • कोविड -19 महामारी के दौरान हिमाचल से झारखण्ड राज्य को रेल व बसों द्वारा कुल 3918 प्रवासी कामगारों को उनके घर वापिस भेजा गया । इसके अतिरिक्त झारखण्ड राज्य से हिमाचल के 15 मजदूरों को वापिस लाया गया ।

उन्होंने कहा कि प्रधानमन्त्री गरीब कल्याण योजना भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही प्रधानमन्त्री गरीब कल्याण योजना के अन्तर्गत हिमाचल प्रदेश के 3491 कामगारों को लाभान्वित करते हुए 7.62 करोड़ रू 0 की राशि Non refundable advance के रूप में वितरित की गई है । • किसान केडिट कार्ड : प्रदेश के कुल 9,60,765 कृषक परिवारों में से 4,29,689 कृषक परिवारों ने आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत किसान के डिट कार्ड की सुविधा का लाभ उठाया है । जिन छोटे और मध्यम किसानों को किसान केडिट कार्ड की सुविधा नहीं मिल सकती है , उन्हें ग्रामीण सहकारिता बैंकों से छूट दरों पर अपनी फसल ऋण आवश्यकता को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है । • Agriculture Infrastructure Fund : इस योजना के बेरोजगार युवाओं को प्रदेश में छोटे कोल्ड स्टोर पोस्ट हारवैस्टिंग युनिट स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है । साथ ही विभिन्न स्वयं सहायता समूहों व सहकारिता सभाओं गांवों से किसानों की फसल को खरीदने तथा बाजार में बेचकर किसानों के लिए उचित मूल्य प्रदान करवाने के लिए गठित करने का प्रावधान है ।

भारत सरकार द्वारा आत्म निर्भर भारत योजना के अन्तर्गत प्रदेश में रह रहे बाहरी प्रदेशों के ऐसे प्रवासी मजदूरों जिनके पास प्रदेश में एन ० एफ ० एस ० ए ० या प्रदेश सरकार की योजना के अन्तर्गत कोई राशन कार्ड नहीं बना हुआ है तथा लॉकडाउन के कारण वे प्रदेश में फंसे हुए थे , उन्हें माह मई व जून , 2020 दो माह के लिए पांच किलोग्राम चावल प्रति सदस्य व एक किलोग्राम काला चना प्रति परिवार मुफ्त में वितरित करने का निर्णय लिया गया था । इस योजना के अन्तर्गत इस प्रदेश को 1432.228 मी 0 टन चावल प्रतिमाह व 137 ए 0 टी 0 काला चना दो माह के लिए आवंटित किया गया था । भारत सरकार से प्राप्त आवंटन को प्रदेश के सभी जिलों को आवंटित कर दिया गया था जिसे आगे लाभार्थियों को भी वितरित किया जा रहा है । माह मई व जून , 2020 के लिए प्राप्त चावल के कुल 2864.4 मी 0 टन आवंटन में से 1831 मी 0 टन चावल का आवंटन कर दिया गया है जिसकी प्रतिशतता 64 प्रतिशत बनती है । इसी प्रकार 137 मी 0 टन काले चने के आवंटन में से 95.6 मी 0 टन काले चने का आवंटन कर दिया गया है जिसकी प्रतिशतता 70 प्रतिशत बनती है । शेष मात्रा के वितरण हेतु समय सीमा को जून , 2020 से बढ़ाकर अगस्त , 2020 कर दिया गया है ।

उज्ज्वला योजना के अन्तर्गत प्रदेश में कुल 1,35,000 लाभार्थियों को 3 मुफ्त गैस सिलेंडर दिए गए । • प्रधानमन्त्री कृषि सम्मान निधि योजना के अन्तर्गत प्रदेश में 4,29,000 लाभार्थियों का चयन किया गया । प्रधानमन्त्री गरीब कल्याण योजना के अन्तर्गत लगभग 30,000 कामगारों को ई ० पी ० एफ 0 के अन्तर्गत 15 करोड़ रूपए के लाभ प्रदान किए गए ।

प्रेस वार्ता में उनके साथ प्रदेश भाजपा के महामंत्री एवं मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार त्रिलोक जम्वाल एवं प्रदेश भाजपा के सह मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा उपस्थित रहे।

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