पालमपुर,प्रवीण शर्मा
कोरोना महामारी के चलते जिला कांगड़ा के सभी शिक्षण संस्थानों ने अपनी पीड़ा जिलाधीश राकेश प्रजापति के समक्ष रखी।
कई संस्थानों ने ऑनलाइन मीटिंग करके अपनी समस्याओं को जाहिर किया।
आईसेक्ट के स्टेट कोऑर्डिनेटर नरिंदर कुमार ने बताया कि आज देश मे बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बन गई है वही आईसेक्ट संस्था ने कौशल विकास के केंद्र खोल कर कई युवाओं को रोजगार दिया और कइयों का कौशल विकास करके उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित भी किया । लेकिन आज कोरोना महामारी के चलते स्थिति ऐसी हो गई है कि इन सभी शिक्षण संस्थानों को अपनी जमा पूंजी व पैतृक संपत्ति को बेचने तक कि नोवत आ गई है। उन्होंने कहा 16 मार्च के बाद इन संस्थानों को एक पैसे की भी कमाई नही हो पाई है और प्रत्येक सेन्टर ने लोन लेकर ही अपना काम शुरू किया है ऊपर से सेन्टर में रखे गए स्टाफ को अपनी जेब से वेतन देने , भवन का किराया , बिजली, पानी के बिल , इत्यादि सब खर्चे कर पाना अब बहुत मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि जबकि इस महामारी के चलते ज्यादातर संस्थानों ने पीएम केयर ओर सीएम रिलीफ फंड में लाखों रुपये जमा करवाकर जनसेवा में अपनी भागीदारी दी है लेकिन आज इनकी ओर कोई ध्यान नही दे रहा है।
इन सभी लोगों ने जिलाधीश से अपील व निवेदन किया है कि बैसे भी ज्यादातर संस्थान कौशल विकास भत्ते में काम करते हैं और सरकार द्वारा निर्धारित दिशा निर्देशों के अनुसार ही काम कर रहे हैं और बच्चों को बैच के हिसाब से पढ़ाया जाता है और एक कंप्यूटर में एक दिन में 4 या 5 बच्चे ही पढ़ते है। अतः उन्होंने कहा कि सरकार या प्रशासन हमे जो भी दिशा निर्देश देंगे वह उसके अनुसार काम करने को तैयार हैं । लेकिन इस गंभीर समस्या का हल शीघ्र निकाला जाए नही तो कई परिवार बर्बाद हो जाएंगे।
इस मौके पर आईसेक्ट के स्टेट कोऑर्डिनेटर नरिन्द्र भट्ट , ज्योति चंदेल, अनुपम जोशी , सचिन , मुनीश ,शशि कांत , विपिन मिश्रा इत्यादि मौजूद रहे।
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